उसने कहा उसकी उम्र नब्बे साल हो गई है
अब बराबर दिखता नहीं है उसे
घुटनों में काफी तकलीफ है चलना मुश्किल हो गया है
और यह भी कि बीमार पड़ा है उसका जवान बेटा
बचने की उम्मीद नहीं है कोई
वह एक दुखी आदमी था
और उसके शोक की परछाईं
मैं आसपास की हर चीज पर
पड़ते देख रहा था लगातार
मैं उस समय बेहद जल्दी में था
और उसकी तमाम बातों को सुनते हुए
जल्दी निकलने की फिक्र में भी
उसने शायद कुछ भाँप लिया था
और अचानक
उम्र में मुझसे चार गुना वह आदमी
पनीली आँखों के साथ मेरे पैरों पर झुका
और अपनी चिरंतन तकलीफ के साथ चला गया चुपचाप
इस तरह संघनित हुई
मेरे भीतर की बची हुई शर्म
और पहली बार मुझे दुख हुआ
साथ एक अजीब सी विरक्ति
उस समय मेरे पास तमाम चीजें थीं
जो मुझे बुद्ध होने से रोक रही थी
पिता का उदास चेहरा
माँ की आँखों का खालीपन
और कई-कई चेहरों का लोच भी शामिल था इनमें
फिर पता नही क्यों
उस आदमी का चेहरा भी
अक्सर मिलता रहता है इन छवियों में
कहता हुआ अपनी उम्र के बारे में
घुटनों की तकलीफ के बारे में
लड़के की बढ़ती जा रही बीमारी के बारे में
दुख होता है अब भी
पर कम होता हुआ लगातार
अपने लिए मेरी घृणा
इन दिनों बढ़ती जा रही है क्रमशः